नई दिल्ली:
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आज डोनाल्ड ट्रंप का ज़िक्र हुआ। केजरीवाल का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा कि आजकल ट्रंप एक ख़तरनाक शब्द बन गया है।
सुनवाई के दौरान सिंघवी ने दलील दी कि अभियोजन पक्ष “सब कुछ फिर से शुरू करना चाहता है” और इस बात पर ज़ोर दिया कि संविधान के अनुच्छेद 21, जो जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है, को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि आजकल “ट्रम्प” एक “खतरनाक शब्द” बन गया है।
श्री सिंघवी ने कहा, “संविधान का अनुच्छेद 21 ट्रम्प करेगा… आजकल ट्रम्प एक खतरनाक शब्द है।”
वरिष्ठ वकील पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का जिक्र कर रहे थे, जो दूसरा कार्यकाल चाह रहे हैं।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ श्री केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही है। यदि याचिका मंजूर हो जाती है, तो आम आदमी पार्टी के प्रमुख पांच महीने से अधिक समय बाद जेल से रिहा हो जाएंगे। उन्हें 26 जून को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था और दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसने 5 अगस्त को उनकी गिरफ्तारी को वैध ठहराया था।
इस सुनवाई का परिणाम श्री केजरीवाल के लिए महत्वपूर्ण है, जो संबंधित प्रवर्तन निदेशालय के मामले में अंतरिम जमानत मिलने के बावजूद जेल में हैं।
14 अगस्त को अदालत ने मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर जांच एजेंसी से जवाब मांगा था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 5 अगस्त को मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी को वैध ठहराया था और कहा था कि सीबीआई द्वारा किए गए कार्यों में कोई दुर्भावना नहीं थी, जो यह प्रदर्शित करने में सक्षम था कि आप सुप्रीमो कैसे गवाहों को प्रभावित कर सकते थे, जो उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने का साहस जुटा सकते थे।
उच्च न्यायालय ने उनसे सीबीआई मामले में नियमित जमानत के लिए निचली अदालत में जाने को कहा था।
दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा इसके निर्माण और क्रियान्वयन से जुड़ी कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच के आदेश देने के बाद 2022 में आबकारी नीति को रद्द कर दिया गया था।
सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति में संशोधन करते समय अनियमितताएं बरती गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।