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Monday, December 23, 2024

इजराइल-हमास युद्ध से उत्पन्न मानवीय संकट ‘बेहद चिंताजनक’: भारत

मध्य पूर्व पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस में भारत का बयान देते हुए, संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रभारी और उप स्थायी प्रतिनिधि राजदूत आर रविंद्र ने कहा कि भारत उन देशों में शामिल है, जिन्होंने पिछले साल 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए आतंकवादी हमलों की कड़ी और स्पष्ट रूप से निंदा की थी।
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इजराइल-हमास संघर्ष के कारण जारी मानवीय संकट को “बेहद चिंताजनक” बताते हुए भारत ने तनाव कम करने का आह्वान दोहराया है तथा बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया है।

मध्य पूर्व पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस में भारत का वक्तव्य देते हुए, संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि एवं प्रभारी राजदूत आर. रविन्द्र ने कहा कि भारत उन देशों में शामिल है, जिन्होंने पिछले वर्ष 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए आतंकवादी हमलों की कड़ी एवं स्पष्ट रूप से निंदा की थी।

वह गाजा स्थित हमास उग्रवादियों द्वारा इजरायल में किए गए घातक हमले का जिक्र कर रहे थे।

रवींद्र ने बुधवार को कहा, “इजराइल-हमास संघर्ष को नौ महीने हो चुके हैं और जारी मानवीय संकट बेहद चिंताजनक है।”

उन्होंने कहा, “हमने चल रहे इजराइल-हमास संघर्ष में नागरिकों की जान जाने की भी निंदा की है।” उन्होंने कहा कि भारत ने तनाव कम करने का आह्वान किया है तथा बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया है।

भारत ने तत्काल, पूर्ण एवं सम्पूर्ण युद्धविराम, सुरक्षित, समय पर एवं सतत मानवीय सहायता तथा गाजा पट्टी में राहत एवं आवश्यक मानवीय सेवाओं तक अप्रतिबंधित पहुंच का आह्वान दोहराया।

भारत ने सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की भी मांग की। रवींद्र ने कहा, “इस दिशा में हम क्षेत्र के देशों, खासकर कतर और मिस्र द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना करते हैं।”

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि भारत का नेतृत्व इजरायल और फिलिस्तीन दोनों के नेतृत्व के साथ संपर्क बनाए हुए है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने सभी प्रासंगिक बहुपक्षीय मंचों पर अपनी स्थिति को लगातार दोहराया है।’’ उन्होंने कहा कि भारत क्षेत्र में शांति और स्थिरता का पक्षधर है।

भारत का यह दीर्घकालिक रुख रहा है कि वह दो-राज्य समाधान का समर्थन करता है, जिसमें मान्यता प्राप्त और पारस्परिक रूप से सहमत सीमाओं के भीतर एक संप्रभु, व्यवहार्य और स्वतंत्र फिलिस्तीन राज्य की स्थापना शामिल है, जो इजरायल की सुरक्षा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए शांतिपूर्वक इजरायल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर रह सके।

पिछले कुछ वर्षों में भारत द्वारा विभिन्न रूपों में फिलिस्तीन को दी गई विकास सहायता लगभग 120 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) को दिया गया 35 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान भी शामिल है।

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