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Monday, December 23, 2024

जम्मू-कश्मीर आतंकी हमले में जीवित बचे व्यक्ति ने कहा, गोलियां चलने के दौरान मैंने अपने बच्चों को बस की सीट के नीचे छिपा दिया था

53 सीटों वाली बस पर आतंकवादियों की गोलीबारी में नौ लोग मारे गए और 41 घायल हो गए।

नई दिल्ली:

जम्मू एवं कश्मीर के रियासी जिले में तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर हुए घातक आतंकवादी हमले में जीवित बचे भवानी शंकर ने सोमवार को कहा, “पहाड़ियों से गोलियां चल रही थीं, इसलिए मैंने झुककर अपने दोनों बच्चों को बस की सीट के नीचे छिपा लिया… मैं उन 20-25 मिनटों को कभी नहीं भूल पाऊंगा।”

दिल्ली के तुगलकाबाद एक्सटेंशन निवासी श्री शंकर ने बताया कि वह 6 जून को अपनी शादी की सालगिरह पर जम्मू स्थित वैष्णो देवी मंदिर में दर्शन करने गए थे। उनके साथ उनकी पत्नी राधा देवी और दो बच्चे – पांच वर्षीय बेटी दीक्षा और तीन वर्षीय बेटा राघव भी थे।

शंकर और उनके परिवार के सदस्य उन पांच लोगों में शामिल हैं जो दिल्ली से हैं और आतंकवादी हमले में घायल हुए हैं तथा उनका जम्मू एवं कश्मीर के अस्पतालों में इलाज चल रहा है।

रविवार शाम को रियासी के पोनी क्षेत्र के तेरयाथ गांव के निकट आतंकवादियों ने 53 सीटों वाली बस पर गोलीबारी की, जिससे नौ लोगों की मौत हो गई और 41 अन्य घायल हो गए। यह बस शिव खोरी मंदिर से कटरा स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर जा रही थी। इस गोलीबारी के कारण बस सड़क से उतरकर गहरी खाई में गिर गई।

शंकर ने फोन पर पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘छह जून को हम दिल्ली से श्री शक्ति एक्सप्रेस में सवार हुए और कटरा पहुंचे। सात जून को हम वैष्णो देवी मंदिर गए और आठ जून की मध्य रात्रि तक अपने होटल के कमरे में लौट आए।’’

उन्होंने कहा, “9 जून को हमने कटरा से शिव खोरी मंदिर के लिए बस ली और यात्रा के लिए 250-250 रुपये के दो टिकट खरीदे।”

उन्होंने बताया कि मंदिर से लौटते समय बस पर हमला हुआ।

उन्होंने कहा, “हम बस में बीच वाले गलियारे के पास बैठे थे। हमारे बच्चे हमारी गोद में थे। हमने शाम करीब 6 बजे गोलियों की आवाज सुनी। महज 10-15 सेकंड में 20-25 से ज्यादा गोलियां चलीं। एक गोली हमारे ड्राइवर को लगी और बस नियंत्रण से बाहर हो गई।”

उन्होंने बताया कि बस हवा में घूम गई और बाद में अपनी सीधी स्थिति में आ गई, लेकिन उसके पहिए पहाड़ी क्षेत्र में पत्थरों और पेड़ों में फंस गए।

“मैंने झुककर अपने दोनों बच्चों को सीट के नीचे छिपा लिया, क्योंकि पहाड़ियों से गोलीबारी जारी थी। हमने एक-दूसरे को कसकर गले लगाया और सोचा कि यह हमारे जीवन के अंतिम क्षण हो सकते हैं। कुछ लोग चिल्ला रहे थे, ‘हमला हो गया है’।

शंकर ने कहा, “हम 20-25 मिनट तक इसी स्थिति में रहे, क्योंकि जब हम खाई में थे, तब कुछ और गोलियां चलीं।” उन्होंने कहा कि वह इस भयावह घटना को कभी नहीं भूलेंगे।

उन्होंने बताया कि कुछ यात्री बस से बाहर गिर गए। उन्होंने बताया कि बचाव दल के पहुंचने तक सभी लोग चीखते-चिल्लाते रहे।

शंकर और उनके दो बच्चे उसी अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि उनकी पत्नी का जम्मू-कश्मीर के एक अन्य अस्पताल में इलाज चल रहा है।

उन्होंने कहा, “मेरे बेटे का हाथ टूट गया है और मेरी बेटी के सिर में चोटें आई हैं। मेरी पीठ में अंदरूनी चोटें आई हैं और मेरी पत्नी के सिर और पैरों में कई चोटें आई हैं।”

शंकर दिल्ली में इंडियन ऑयल में तैनात एक अधिकारी के पास ड्राइवर के तौर पर काम करता है। वह अपनी पत्नी, पिता और साले के साथ दिल्ली के तुगलकाबाद एक्सटेंशन में रहता है। उसका साला एक निजी कंपनी में काम करता है।

उन्होंने कहा, “मैं दिल्ली में अपने परिवार के सदस्यों से फोन के जरिए नियमित संपर्क में हूं।”

(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को एनडीटीवी स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से प्रकाशित किया गया है।)

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