नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं, एनडीए गठबंधन के सहयोगियों ने उन्हें अपना नेता चुना है। एनडीए के सभी दल शुक्रवार को राष्ट्रपति से मिलकर आधिकारिक पत्र देने जा रहे हैं। इस बार बीजेपी को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उसे गठबंधन सहयोगियों की मदद से सरकार बनाने की जरूरत है, क्योंकि भगवा पार्टी ने अपने दम पर 240 सीटें जीती हैं, जो बहुमत से कम है। मोदी बीजेपी के पहले प्रधानमंत्री नहीं हैं जो तीसरी बार पीएम बनने जा रहे हैं, अटल बिहारी वाजपेयी भी तीन बार बीजेपी के पीएम पद की शपथ ले चुके हैं।
आज के डीएनए में सौरभ राज जैन ने गठबंधन सरकार के कारण भाजपा के सामने आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण किया। ज़ी न्यूज़ के एंकर ने इसे मोदी का ‘अटल टेस्ट’ बताया।
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अटल बिहारी वाजपेयी पहले और दूसरे कार्यकाल में अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे, लेकिन तीसरे कार्यकाल में उन्हें यह सौभाग्य प्राप्त हुआ। मोदी ने पहला और दूसरा कार्यकाल पूरा कर लिया है, लेकिन तीसरा सौभाग्य सवालों के घेरे में है। 1999 में भाजपा के पास बहुमत से कम 182 सीटें थीं, फिर भी वाजपेयी ने 19 दलों को साथ लेकर 5 साल पूरे किए थे। आज भाजपा के पास 240 सीटें हैं, लेकिन मोदी के पास गठबंधन सरकार खींचने का अनुभव नहीं है। वे पिछले दो कार्यकाल से भाजपा के बहुमत वाली सरकारें चला रहे हैं।