नई दिल्ली:
मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) को लेकर चिंताओं के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने आज राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को कड़ी फटकार लगाई, जो मेडिकल कॉलेज के उम्मीदवारों के लिए देश भर में परीक्षा आयोजित करती है।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, “यदि किसी की ओर से 0.001% भी लापरवाही हुई है, तो उससे पूरी तरह निपटा जाना चाहिए।”
शीर्ष अदालत ने एनटीए से कहा, “परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी के रूप में आपको निष्पक्षता से काम करना चाहिए। अगर कोई गलती है, तो कहें कि हां, यह गलती है और हम यह कार्रवाई करने जा रहे हैं। कम से कम इससे आपके प्रदर्शन पर भरोसा पैदा होगा।”
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि एजेंसी को देश की सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं में से एक की तैयारी के लिए छात्रों द्वारा किए गए प्रयासों को नहीं भूलना चाहिए।
इसमें कहा गया है, “कल्पना कीजिए कि सिस्टम के साथ धोखाधड़ी करने वाला व्यक्ति डॉक्टर बन जाता है, वह समाज के लिए अधिक हानिकारक है। बच्चे NEET पास करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।”
उन्होंने कहा, ‘‘मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी।
पिछले सप्ताह एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि नीट-यूजी परीक्षा में 1,563 उम्मीदवारों को दिए गए ग्रेस मार्क्स खत्म कर दिए जाएंगे और उम्मीदवारों के पास 23 जून को दोबारा परीक्षा देने का विकल्प होगा। शीर्ष अदालत को बताया गया कि दोबारा ली जाने वाली परीक्षा के नतीजे 30 जून से पहले घोषित कर दिए जाएंगे।
यदि इनमें से कोई भी अभ्यर्थी पुनः परीक्षा नहीं देना चाहेगा तो उसके पूर्व अंक बिना अतिरिक्त अंक दिए बहाल कर दिए जाएंगे।
5 मई को 24 लाख छात्रों द्वारा ली गई मेडिकल प्रवेश परीक्षा के नतीजे 4 जून को घोषित किए गए। परीक्षा के पेपर लीक होने के आरोप जल्द ही सामने आए। 67 छात्रों को 720/720 का परफेक्ट स्कोर मिला।
कई छात्रों को कथित तौर पर परीक्षा केंद्र पर समय की बर्बादी की भरपाई के लिए ग्रेस मार्क्स दिए गए थे।
कई छात्र संगठनों ने कथित NEET अनियमितताओं को लेकर विरोध प्रदर्शन किया है, जिसमें गलत प्रश्नपत्र वितरित किए जाने, ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन (ओएमआर) शीट फाड़े जाने या शीट के वितरण में देरी शामिल है।