स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शुक्रवार को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) का बचाव करते हुए कहा कि नीट लागू होने से पहले मेडिकल शिक्षा एक खुला व्यापार बन गई थी और पीजी सीटें 8 करोड़ से 13 करोड़ रुपये में बेची जाती थीं।
मंत्री ने राज्यसभा सदस्य एम मोहम्मद अब्दुल्ला द्वारा एनईईटी पर पेश एक निजी विधेयक पर चर्चा के दौरान हस्तक्षेप किया और कहा कि स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उनके पहले कार्यकाल के दौरान एनईईटी लाए जाने से पहले भी चिकित्सा शिक्षा में भ्रष्टाचार व्याप्त था।
नड्डा ने कहा, “मेडिकल शिक्षा एक व्यवसाय का अड्डा बन गई है। जब मैं स्वास्थ्य मंत्री था और NEET ला रहा था, तो पोस्ट ग्रेजुएशन की एक सीट 8 करोड़ रुपये में बेची जाती थी और अगर आपको रेडियोलॉजी जैसे विषय का चयन करना होता तो यह 12-13 करोड़ रुपये होती थी।”
उन्होंने कहा कि एनईईटी आने से पहले छात्रों को मेडिकल परीक्षा के लिए देश भर में यात्रा करनी पड़ती थी।
मंत्री ने कहा कि धन और समय की बर्बादी के अलावा छात्रों को चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में भारी भ्रष्टाचार से भी जूझना पड़ता है।
नड्डा ने कहा, “प्रवेश सूची 30-45 मिनट के लिए लगाई जाती थी और उसके बाद कहा जाता था कि छात्र नहीं आए, इसलिए हम इन सीटों का इस्तेमाल अपने विवेक से कर रहे हैं। यह एक व्यवसाय बन गया था। इसमें निहित स्वार्थ था। मामला लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में लंबित था।”