संभल, उत्तर प्रदेश: ताजा सबूतों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश के संभल में हाल ही में हुई हिंसा कोई स्वतःस्फूर्त विस्फोट नहीं बल्कि एक सुनियोजित घटना थी। वीडियो, गवाहों के विवरण और पुलिस जांच से पता चलता है कि जामा मस्जिद के दूसरे सर्वेक्षण के बाद दंगे भड़क उठे, जिससे इरादे, योजना और जवाबदेही के बारे में बहस छिड़ गई।
आज के डीएनए में, ज़ी न्यूज़ ने संभल में हिंसा के पीछे की सच्चाई को उजागर किया और दंगों के वीडियो के खिलाफ पुलिस के दावों की जांच की।
24 नवंबर को मस्जिद के दूसरे सर्वेक्षण के बाद शुरू हुई हिंसा ने संभल को तनावपूर्ण और विभाजित कर दिया। भाड़े के दंगाइयों की संलिप्तता, अवैध हथियारों और पूर्व नियोजित उकसावे को लेकर कई सवाल सामने आए हैं।
पुलिस रिपोर्ट और वीडियो साक्ष्य से पता चलता है कि दंगों की योजना सावधानीपूर्वक बनाई गई थी। घटनास्थल के एक वीडियो में कम से कम 15 नकाबपोश व्यक्तियों को पत्थरों और चाकुओं से लैस, सर्वेक्षण को बाधित करते और अराजकता भड़काते हुए दिखाया गया है। एक क्लिप में दंगाई एक वाहन में पत्थरों से तोड़फोड़ करते दिख रहे हैं, जबकि अन्य लोग फिल्म बना रहे व्यक्ति पर आपत्तिजनक इशारे कर रहे हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने घटनास्थल से बरामद दोधारी चाकू दिखाते हुए कहा, “ये चाकू नियमित बाजार की वस्तुएं नहीं हैं; इन्हें हिंसा के लिए डिजाइन किया गया है।”
हिंसा किसने भड़काई?
कथित तौर पर दंगे जामा मस्जिद के दूसरे सर्वेक्षण के दौरान शुरू हुए, जिसका प्रारंभिक सर्वेक्षण 19 नवंबर को हो चुका था। सवाल उठे कि दूसरा सर्वेक्षण क्यों आवश्यक था। हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन के अनुसार, पहला सर्वेक्षण खराब रोशनी और भीड़ की वजह से पूरा नहीं हो सका।
हालाँकि, परस्पर विरोधी दावे सामने आए। सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क और अन्य मुस्लिम नेताओं ने एक और सर्वेक्षण की आवश्यकता पर सवाल उठाया।
विस्तृत विश्लेषण के लिए डीएनए का पूरा एपिसोड यहां देखें:
‘भगारे’ के दंगों ने भड़काई संभल में हिंसा?
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