केंद्र ने मंगलवार को घरेलू संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये तक के ऋण के लिए वित्तीय सहायता की घोषणा की, जबकि उच्च शिक्षा नियामक यूजीसी के लिए अनुदान में 60 प्रतिशत से अधिक की कटौती की।
केंद्रीय बजट के अनुसार, भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) के लिए आवंटन में लगातार दूसरे साल कटौती की गई है। स्कूली शिक्षा के लिए बजट में 535 करोड़ रुपये से अधिक की वृद्धि की गई है, जबकि उच्च शिक्षा के लिए अनुदान में पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान (आरई) से 9,600 करोड़ रुपये से अधिक की कटौती की गई है।
कुल मिलाकर, शिक्षा क्षेत्र के लिए बजट आवंटन में 9,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमी की गई है। केंद्र ने 2024-25 के लिए शिक्षा मंत्रालय को 1.20 लाख करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किए हैं, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में संशोधित अनुमान 1.29 लाख करोड़ रुपये से अधिक था।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में 2024-25 का बजट पेश करते हुए कहा कि घरेलू संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये तक के ऋण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए हर साल एक लाख छात्रों को सीधे ई-वाउचर दिए जाएंगे, जिसमें ऋण राशि का 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान भी शामिल होगा।
सीतारमण ने कहा, “सरकार की योजनाओं और नीतियों के तहत किसी भी लाभ के लिए पात्र नहीं रहे हमारे युवाओं की मदद के लिए, सरकार घरेलू संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये तक के ऋण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। इस उद्देश्य के लिए हर साल एक लाख छात्रों को सीधे ई-वाउचर दिए जाएंगे, जिसमें ऋण राशि का 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान होगा।”
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा घोषित व्यापक और ठोस उपायों की श्रृंखला “सभी हितधारकों – छात्रों, शिक्षाविदों और उद्योग” के लिए फायदेमंद होगी।
प्रधान ने कहा, ‘‘इससे हमारे युवाओं की आकांक्षाएं पूरी होंगी, लोगों को अधिक आजीविका के अवसर मिलेंगे, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल तक पहुंच बढ़ेगी और अगले पांच वर्षों में 4.1 करोड़ से अधिक नए रोजगार सृजित होंगे।’’
शैक्षणिक संस्थानों में शोध और नवाचार के लिए बजट में 161 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है। इसी तरह, विश्व स्तरीय संस्थानों के लिए आवंटन 1,300 करोड़ रुपये (संशोधित अनुमान) से बढ़ाकर 1,800 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के लिए वित्त पोषण को पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान 6,409 करोड़ रुपये से घटाकर 2,500 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो 60.99 प्रतिशत की गिरावट है। सरकार द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट में भी इसमें कटौती की गई थी।
देश के जाने-माने बिजनेस स्कूलों में गिने जाने वाले आईआईएम को लगातार दूसरे साल बजट में कटौती का सामना करना पड़ा है। पिछले साल आईआईएम के बजट को 608.23 करोड़ रुपये (संशोधित अनुमान) से घटाकर 300 करोड़ रुपये कर दिया गया था। इस साल इसे संशोधित अनुमान 331 करोड़ रुपये से घटाकर 212 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के बजट में भी पिछले साल के संशोधित अनुमान से मामूली गिरावट देखी गई है। शीर्ष प्रौद्योगिकी संस्थानों को दिया जाने वाला अनुदान संशोधित अनुमान 10,384.21 करोड़ रुपये से घटकर 10,324.50 करोड़ रुपये रह गया है।
हालांकि, केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए सहायता अनुदान में 28 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की गई है। केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए बजट को संशोधित अनुमान 12,000.08 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 15,472 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
स्कूली शिक्षा में, केन्द्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों, एनसीईआरटी, पीएम श्री स्कूलों तथा राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को अनुदान सहायता के लिए बजट आवंटन में वृद्धि देखी गई है।
कौशल विकास क्षेत्र के लिए वित्त मंत्री द्वारा घोषित उपायों में 1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) को हब और स्पोक मॉडल में अपग्रेड करना, पाठ्यक्रम सामग्री को उद्योग की कौशल आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना तथा मॉडल कौशल ऋण योजना में संशोधन करना शामिल है।
उन्होंने कहा, “एक हजार आईटीआई को हब और स्पोक मॉडल में अपग्रेड किया जाएगा, पाठ्यक्रम की सामग्री और डिजाइन को उद्योग की कौशल आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाएगा और उभरती जरूरतों के लिए नए पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। मुझे कौशल विकास के लिए एक नई केंद्र प्रायोजित योजना की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है, जिसके तहत पांच साल की अवधि में 20 लाख युवाओं को कौशल प्रदान किया जाएगा।”
सीतारमण ने कहा, ”आदर्श कौशल ऋण योजना को संशोधित किया जाएगा ताकि सरकारी प्रवर्तित कोष से गारंटी के साथ 7.5 लाख रुपये तक के ऋण की सुविधा दी जा सके… इस उपाय से हर साल 25,000 छात्रों को मदद मिलने की उम्मीद है।”
बीएमएल मुंजाल विश्वविद्यालय में शिक्षा गुणवत्ता के डीन डॉ. जसकिरन अरोड़ा ने कहा, “यह बजट भारत के शिक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो युवाओं के लिए अवसरों को बढ़ाने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का आवंटन समग्र विकास की दिशा में एक रणनीतिक बदलाव को रेखांकित करता है। उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये तक के ऋण के लिए वित्तीय सहायता की शुरूआत, विशेष रूप से मौजूदा सरकारी योजनाओं से बाहर रखे गए लोगों के लिए, एक गेम-चेंजर है। एक लाख छात्रों के लिए 3% वार्षिक ब्याज अनुदान की पेशकश करने वाले ई-वाउचर उच्च शिक्षा को अधिक सुलभ और सस्ती बना देंगे, जो संभावित रूप से अनगिनत भविष्य को बदल देगा।
उन्होंने कहा कि उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास खोलने का प्रस्ताव महिला कार्यबल की भागीदारी को समर्थन देने तथा महिलाओं के लिए अधिक समावेशी वातावरण बनाने की मजबूत प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
उन्होंने कहा कि संशोधित मॉडल कौशल ऋण योजना और 1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के उन्नयन के साथ कौशल उन्नयन पर बजट का फोकस रोजगार क्षमता बढ़ाने की स्पष्ट मंशा को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में 20 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करने का लक्ष्य रखते हुए यह बजट अधिक कुशल, प्रतिस्पर्धी कार्यबल के लिए मंच तैयार करता है, जो अंततः आर्थिक विकास और नवाचार को बढ़ावा देगा।
“मुझे यह देखकर खुशी हुई कि शिक्षा के लिए आवंटन पिछले साल की तुलना में 10% से अधिक बढ़ गया है। हालाँकि हम अभी भी समग्र बजट से 6% आवंटन से पीछे हैं, जिसका अधिकांश OECD देश पालन करते हैं और जिसकी नई शिक्षा नीति द्वारा अनुशंसा की गई है, यह निश्चित रूप से सही दिशा में एक कदम है। यह देखना दिलचस्प है कि युवा छात्रों को कौशल प्रदान करना और यह सुनिश्चित करना कि वे भविष्य के लिए तैयार और रोजगार योग्य हैं, नई नीतियों और योजनाओं के भीतर एक प्रमुख विचार है, जिनकी घोषणा की गई है,” ब्राइटचैम्प्स के संस्थापक और सीईओ रवि भूषण ने कहा।
एमपोकेट के संस्थापक और सीईओ गौरव जालान ने कहा, “चाहे वह युवा हों, महिलाएं हों, एमएसएमई हों, स्टार्ट-अप हों, रोजगार हों या अन्य प्रमुख पहलू हों, वित्त वर्ष 2024-25 के बजट ने ऐसे उपायों की घोषणा करके एक अच्छा माहौल तैयार किया है, जो किसी न किसी तरह से अधिकांश हितधारकों को लाभान्वित करते हैं।
उदाहरण के लिए, शिक्षा, कौशल और रोजगार पहल के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये के कुल आवंटन के साथ पांच योजनाओं की घोषणा से उपरोक्त सभी क्षेत्रों को लाभ होगा। इसके अलावा, केंद्र द्वारा पांच वर्षों में प्रायोजित एक नई कौशल योजना से 20 लाख युवाओं को लाभ होगा, उन्होंने कहा।